क्या आप अपनी पत्नी से परेशान है ? क्या आपकी पत्नी दहेज कानूनों की आड़ में आपको सता रही है ? तो आइये एक जुट होकर आवाज उठाए, संपर्क करे :--09034048772 , ईमेल करे -kamalsharma440@gmail.com
Om Durgaye Nmh
Saturday, 24 March 2012
Wednesday, 7 March 2012
मेरा सभी ब्लॉगर भाई , बहनों से अनुरोध है कि एक बार मेरा ब्लॉग "becharepati.blogspot.com" को पढकर जरुर कमेन्ट करे !
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Tuesday, 6 March 2012
माननीय राष्ट्रपति जी मुझे इच्छा मृत्यु प्रदान करके कृतार्थ करें
दोस्तों
! एक बार जरा मेरी जगह अपने-आपको रखकर सोचो और पढ़ो कि-एक पुलिस अधिकारी रिश्वत न मिलने
पर या मिलने पर या सिफारिश के कारण अपने कार्य के नैतिक फर्जों की अनदेखी करते हुए
मात्र एक महिला के झूठे आरोपों(बिना ठोस सबूतों और अपने विवेक का प्रयोग न करें) के
चलते हुए किसी भी सभ्य, ईमानदार व्यक्ति के खिलाफ झूठा केस दर्ज कर देता है. फिर सरकार
द्वारा महिला को उपलब्ध, जांच अधिकारी, जज आदि को मुहँ मांगी रिश्वत न मिले. इसलिए
सिर्फ जमानत देने से इंकार कर देता है. उसके बाद क्या एक सभ्य व्यक्ति द्वारा देश की
राष्ट्रपति और हाईकोर्ट से इच्छा मृत्यु की मांग करना अनुचित है. एक गरीब आदमी कहाँ
से हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के अपनी याचिका लगाने के लिए पैसा लेकर आए ? क्या वो
किसी का गला काटना शुरू कर दें ? क्या एक पुलिस अधिकारी या जांच अधिकारी या जज की गलती
की सजा गरीब को मिलनी चाहिए ? हमारे भारत देश में यह कैसी न्याय व्यवस्था है ? क्या
हमारे देश में दीमक की तरह फैले भ्रष्टचार ने हमारी न्याय व्यवस्था को खोखला नहीं कर
दिया है ? क्या आज हमारी अव्यवस्थित न्याय प्रणाली सभ्य व्यक्तियों को भी अपराधी बनने
के लिए मजबूर नहीं कर रही है ? इसका जीता-जागता उधारण मैं हूँ | सरकारी अप्सरों को
सिर्फ अपनी सैलरी लेने तक का ही मतलब है. क्या देश की अदालतों में भेदभाव की नीति नहीं
अपनाई जाती है. अगर मेरे जैसा ही अगर किसी महिला ने एक पेज का भी एक पत्र दिल्ली हाईकोर्ट
में लिख दिया होता तो दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ न्यायादिश के साथ अन्य जज भी उसके पत्र
पर संज्ञान लेकर वाहवाही लूटने में लग जाते है, इसके अनेकों उदाहरण अख़बारों में आ
चुके है. क्या भारत देश में एक सभ्य ईमानदार व्यक्ति की कोई इज्जत नहीं ?
मेरा भारत देश की न्याय व्यवस्था से विश्वास ही उठ
गया है. अब आप मुझे बेशक मेरे खिलाफ झूठी एफ.आई.आर के संदर्भ में फांसी की सजा दे दें.
मैं वोट की राजनीति खेलने वाले देश में अपनी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में
"अपील" या "दया याचिका" भी नहीं लगाऊंगा. भारत देश की न्याय व्यवस्था
अफजल गुरु और कसाब जैसे अपराधी के अधिकारों की रक्षा करती है. यहाँ संविधान की धाराओं
का लाभ सिर्फ अमीरों व राजनीतिकों को मिलता है या दिया जाता है.
जिनके पास वकीलों की मोटी-मोटी फ़ीस देने के लिए और संबंधित अधिकारियों को मैनेज करने
के लिए लाखों-करोड़ों रूपये है. गरीबों को "न्याय" देना न्याय व्यवस्था के
बस में ही नहीं है. मुझे आज भारत देश की न्याय व्यवस्था की कार्य शैली पर बहुत अफ़सोस
हो रहा है. न्याय व्यवस्था की अब तक की कार्यशैली के कारण भविष्य में मुझे न्याय मिलने
की उम्मीद भी नहीं है. अपने खिलाफ दर्ज केस के संदर्भ में बस इतना ही कहना है कि -
१. हाँ, मैंने बिना दहेज लिये ही मैरिज करके बहुत
बड़ा अपराध किया है.
२. हाँ, मैंने मैरिज करके अपने माता-पिता का दिल दुखाकर
भी बहुत बड़ा अपराध किया है.
३. हाँ, मैंने अपनी पत्नी की बड़ी-बड़ी गलती पर उसको
माफ़ करके बहुत बड़ा अपराध किया है.
४. हाँ, मैंने अपनी पत्नी को मारने के उद्देश्य से
कभी भी ना छूकर बहुत बड़ा अपराध किया है.
५. हाँ,
मैंने गरीब होते हुए भी भारत देश की न्याय व्यवस्था से "न्याय" की उम्मीद
करने का अपराध किया है.
माननीय राष्ट्रपति जी मुझे
इच्छा मृत्यु प्रदान करके कृतार्थ करें
मेरा मानना है कि जिंदगी की सबसे बड़ी शर्त
है स्वस्थ तन और निर्मल मन.हमारी जिम्मेदारी तन को तन्दुरुस्त रखना तो है ही साथ ही
हमारी निरंतर कोशिश मन को भी सारे प्रदूषण से बचाने की हो.प्रदूषित मन का होना स्वस्थ
तन से समझौता करना है. जब कोई भी शरीर इस हालत मैं पहुँच गया हो कि उसका जीर्णोंध्दार
नहीं हो सकता है तब उसे त्यागने में हर्ज नहीं है. जिंदगी जीने की जिन्दा दिली मैं
इतनी ताकत हो कि वह मौत से भी न डरे. इन दिनों मेरा मन और तन सही नहीं रहता है, क्योंकि
जो समय समाज और देशहित मैं चिंतन करते हुए कार्य करता था वो ऐसी परेशानियों मैं फंसा
हुआ है. जहाँ से एक ईमानदार और सभ्य व्यक्ति निकलना आसान नहीं होता है. जब पूरा भारत
देश का हर विभाग भ्रष्टाचार से ग्रस्त हो. तब मुशिकलों का कम होना जल्दी संभव नहीं
होता है. अत: मैंने जो भी कदम उठाया है. वो सब मज़बूरी मैं लिया गया निर्णय है. हो सकता
कुछ लोगों को यह पसंद न आये लेकिन जिस पर बीत रही होती हैं उसको ही पता होता है कि
किस पीड़ा से गुजर रहा है. कहते हैं वो करो, जो मन को अच्छा लगे और उससे किसी का अहित
न हो.
Monday, 5 March 2012
D.C.HISAR KO LIKHA LETTER
मैं कमल शर्मा पुत्र
स्व० श्री क्रषण गोपाल निवासी न मालूम (क्यों कि अब मेरा कोई घर नहीं है ) मेरी शादी
को 17 साल हुए है | परन्तु इन 17 सालो में मैंने अपने ससुराल पक्ष व् मेरी पत्नी की
क्या क्या यातनाये नहीं सही और अब 2007 से तो हालत इतने बत्तर हो गए है कि मुझे अपना
घर ही छोड़ना पड़ा | आज डिप्रेशन के कारण मैं अपने साथ हुए अन्याय की बात को ठीक से
उच्चारण नहीं कर पा रहा हूँ | इसलिए अपनी कुछ बाते जो याद है फिलहाल उन्हें लिखकर दे
रहा हूँ |
मैं मानता हूँ कि आज समाज में कुछ पुरुष महिलाओ पर अत्याचार करते है | लेकिन जिस प्रकार हाथ कि पांचो उगलिया बराबर नहीं होती ठीक उसी तरह हर पति अपनी पत्नी पर अत्याचार नहीं करते |इस विषय पर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी भी आई थी कि घरेलू हिंसा अधिनियम और धारा 498 a को बनाया तो महिलाओ के हितों के लिए है मगर कुछ महिलाओ द्वारा अपने पति व् ससुराल वालो को प्रताड़ित करने, ब्लेकमैलिग़ करके उनसे मोटी रकम हथियाने के लिए उपरोक्त कानून को हथियार के रूप गलत इस्तेमाल कर रही है | इसलिए शुरूआती जाँच अधिकारी सावधानी से जाँच करके ही कोर्ट में रिपोर्ट पेश करें |
मैं मानता हूँ कि आज समाज में कुछ पुरुष महिलाओ पर अत्याचार करते है | लेकिन जिस प्रकार हाथ कि पांचो उगलिया बराबर नहीं होती ठीक उसी तरह हर पति अपनी पत्नी पर अत्याचार नहीं करते |इस विषय पर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी भी आई थी कि घरेलू हिंसा अधिनियम और धारा 498 a को बनाया तो महिलाओ के हितों के लिए है मगर कुछ महिलाओ द्वारा अपने पति व् ससुराल वालो को प्रताड़ित करने, ब्लेकमैलिग़ करके उनसे मोटी रकम हथियाने के लिए उपरोक्त कानून को हथियार के रूप गलत इस्तेमाल कर रही है | इसलिए शुरूआती जाँच अधिकारी सावधानी से जाँच करके ही कोर्ट में रिपोर्ट पेश करें |
लेकिन मेरे खिलाफ
हुई F.I.R.-1077 , Date - 3/12/2009 में ऐसा नहीं हुआ इसमें जाँच अधिकारी A.S.I. रामसिंह
और A.S.I. संतलाल द्वारा बताया गया कि कमल शर्मा (यानि मुझे)और मेरी माँ राधा रानी
ने मीनाक्षी पुत्री मुंशीराम को मार पीट कर घर से निकाल दिया है | जो कि सरासर गलत
है क्योंकि मीनाक्षी अपनी ससुराल से एक दिन के लिए भी अलग नहीं हुई और वह आज भी अपनी
ससुराल में ही रह रही है | जबकि मैंने मजबूर होकर 15 सितम्बर 2008 को ही घर छोड़ दिया
था | क्योंकि मैं मेरी पत्नी द्वारा बार बार पुलिस बुलाकर पिटवाए जाने से परेशांन हो
चुका था | मैंने इस बाबत I.G.Hisar को भी एक पत्र दिया था |
मेरी पत्नी व् मेरे
ससुरालियो ने 13/3/1994 से 15/9/2008 तक कि अवधि में मेरी पत्नी के साथ रहने के दौरान
हमेशा मेरा मानसिक,शारीरिक व् आर्थिक रूप से शोषण किया है | जैसे शारीरिक सम्बन्ध बनाने
से इंकार करना, शारीरिक सम्बन्ध बनाने से पहले पैसो की मांग करना, मेरी माँ व्
बहन (जिसकी शादी पहले ही हो चुकी है) को अपशव्द बोलना, हमारी जाति ब्रहमण है (मेरे
पिता जी मंदिर में पुजारी थे) के सम्बन्ध में भिखारी शब्द बोलना, मेरे ऊपर अपने भाई
से तेजाब फिकवाने की कहना, मेरे ससुर द्वारा पांच आदमियों को मेरी दुकान पर लाकर U
.P . से बदमाश बुलाकर मुझे जान से मारने की धमकी देना, गृहस्थी की जिम्मेदारी न समझते
हुये गृह कार्यो से बचना, बगैर किसी बात के गृहक्लेश करना, मुझ पर दूसरी महिलाओ के
साथ अवैध सम्बन्ध होने का आरोप लगाकर मुझे मोहल्ले में बदनाम करना, अपने मायके की समस्याओ
को लेकर भी मेरे साथ झगडा करना और इनसे भी पेट न भरे तो मुझे पुलिस बुलाकर या अपने
रिश्तेदारों को बुलाकर मुझे पिटवाना, मेरी सास द्वारा जिंदल परिवार से सिफारिश करवाने
की धमकी देना, मेरी पत्नी के भाई बहनों ने भी समय समय पर मुझे आर्थिक व् मानसिक रूप
से परेशान किया है , ऐसी अनेको बाते है | जिनको लेकर अक्सर दुर्व्यवहार करना मेरी पत्नी
की आदत में शामिल रहा है | मेरी पत्नी किसी के बहकाने से
किसी भी हद तक जा सकती है| यहाँ तक कि
मेरी जान भी ले सकती है |
मेरे ससुराल पक्ष ने मेरे साले की शादी के वक्त मुझसे चार लाख रूपए मांगे थे पर मेरे पास इतने पैसे न होने के कारण मैंने एक लाख रूपए दे दिये | लेकिन मेरा वो रूपया आज तक मुझे नहीं मिला इसके बावजूत जनवरी 2008 में मुझसे फिर पांच लाख रूपए मांगने लगे, मेरे साफ मना करने पर झूठे केसों में फसाने और जान से मारने की धमकी देने लगे तथा 2009 से वही कर रहे है | मेरे ससुराल व् मेरी पत्नी ने हमेशा महिलाओ के हितों के लिए बनाये कानूनों का दुरूपयोग करते हुये मुझे प्रताड़ित किया और इतनी यातनाये सहने के बाबजूद मेरे माता पिता व् ब्रहमण धर्म गुरुजनों के दिये संस्कारो की वजह से सब्र ,धैर्य और संयम रखे हुये हमेशा क्षमा करते हुये अपनी पत्नी को बातो के माध्यम से समझाने की कोशिश की और कभी किसी प्रकार की मार पीट नहीं की बल्कि हद से ज्यादा परेशान होने पर अपने आप ही अपना सब कुछ अपनी पत्नी को सोप कर घर छोड़ देने का फैसला लिया |
आज मैं यह सार्वजनिक घोषणा कर रहा हूँ. आज के बाद मेरी किसी दुर्घटना में या किसी भी तरीके से अगर मौत होती है तो. उसकी संपूर्ण रूप से मेरी पत्नी, सास-सुसर, तीनो सालियाँ और मेरे साले के साथ ही हनुमान कालोनी हिसार कैंट में रह रहे बलजीत पुत्र सुरता राम व् अवतार बडेसरा की जिम्मेदारी होगी, क्योंकि मेरे जीवन के सिर्फ यहीं लोग दुश्मन है. अब मेरी आखिरी लड़ाई जीवन और मौत के बीच होगी.
मेरे ससुराल पक्ष ने मेरे साले की शादी के वक्त मुझसे चार लाख रूपए मांगे थे पर मेरे पास इतने पैसे न होने के कारण मैंने एक लाख रूपए दे दिये | लेकिन मेरा वो रूपया आज तक मुझे नहीं मिला इसके बावजूत जनवरी 2008 में मुझसे फिर पांच लाख रूपए मांगने लगे, मेरे साफ मना करने पर झूठे केसों में फसाने और जान से मारने की धमकी देने लगे तथा 2009 से वही कर रहे है | मेरे ससुराल व् मेरी पत्नी ने हमेशा महिलाओ के हितों के लिए बनाये कानूनों का दुरूपयोग करते हुये मुझे प्रताड़ित किया और इतनी यातनाये सहने के बाबजूद मेरे माता पिता व् ब्रहमण धर्म गुरुजनों के दिये संस्कारो की वजह से सब्र ,धैर्य और संयम रखे हुये हमेशा क्षमा करते हुये अपनी पत्नी को बातो के माध्यम से समझाने की कोशिश की और कभी किसी प्रकार की मार पीट नहीं की बल्कि हद से ज्यादा परेशान होने पर अपने आप ही अपना सब कुछ अपनी पत्नी को सोप कर घर छोड़ देने का फैसला लिया |
आज मैं यह सार्वजनिक घोषणा कर रहा हूँ. आज के बाद मेरी किसी दुर्घटना में या किसी भी तरीके से अगर मौत होती है तो. उसकी संपूर्ण रूप से मेरी पत्नी, सास-सुसर, तीनो सालियाँ और मेरे साले के साथ ही हनुमान कालोनी हिसार कैंट में रह रहे बलजीत पुत्र सुरता राम व् अवतार बडेसरा की जिम्मेदारी होगी, क्योंकि मेरे जीवन के सिर्फ यहीं लोग दुश्मन है. अब मेरी आखिरी लड़ाई जीवन और मौत के बीच होगी.
अत: मेरा आपसे निवेदन
है कि एक बार कृपया करके मेरा पक्ष भी ध्यान से सुने और विचार करने का कष्ट करे | आजतक
एक बार भी मेरा पक्ष नहीं सुना गया | अगर आज भी मेरे साथ इंसाफ नहीं हुआ तो मेरे पास
आत्महत्या करने के सिवाय कोई चारा नहीं
रह जायगा | जिसकी इजाजत मांगने के लिए मैने राष्ट्रीय
मानव अधिकार आयोग दिल्ली को 25/1/2012 को एक पत्र लिख चुका हू |
झूठी एफ० आई ० आर ० की दोबारा तफ्तीश करने हेतु प्रार्थना-पत्र
सेवामें, दिनांक : 1/3/2012
श्री मान आई ० जी ० साहब,
हिसार रेंज हिसार (हरियाणा)
श्री मान आई ० जी ० साहब,
हिसार रेंज हिसार (हरियाणा)
विषय :-- झूठी एफ० आई ० आर ० की दोबारा तफ्तीश करने हेतु प्रार्थना-पत्र
माननीय महोदय,
मेरे खिलाफ
3/12/2009 को एक F.I.R. NO .1077 मेरी पत्नी द्वारा दर्ज करवाई गई थी ,जिसमे
498a, 406, 506, 323, 34 के आरोप मुझ पर लगाये गए थे |जो की बिलकुल बेबुनियाद है |जिसकी
जाँच के लिए मैने आई० जी० हिसार को पहले भी एक पत्र लिखा था ,जिसकी जाँच ए० एस० पी०
पंकज नैन द्वारा करवाई गई थी ,उसमे मेरे ऊपर दहेज मांगने का आरोप बिलकुल बेबुनियाद
पाया गया, और मुझे धारा 406 का दोषी नहीं पाया गया ,लेकिन मुझे उपरोक्त बाकी धारायो
में पुलिस द्वारा दोषी करार देते हुये चार्ज शीट माननीय अदालत में प्रस्तुत कर दी गई|
जिसकी आज भी अदालत
में कार्यवाही चल रही है | लेकिन मुझे ये नहीं पता चल रहा था कि मुझे पुलिस द्वारा
498a का दोषी कैसे पाया गया ,इसका जवाब जानने के लिए मैंने एक R.T.I. पत्रांक संख्या
- 3349 सदर थाना हिसार में लगाई,जिसके
जवाब में मुझे पता चला कि पुलिस द्वारा जाँच में लिखा गया था कि कमल शर्मा एवं राधा
रानी द्वारा मीनाक्षी पुत्री मुंशी राम को मार पीट कर घर से निकालने एवं तंग करने का
दोषी पाया है ,जबकि सच्चाई इससे बिलकुल उलट है ,पुलिस ने जो भी जाँच कि वो एकतरफा की
क्योंकि मीनाक्षी पुत्री मुंशी राम व अन्य ससुराल पक्ष द्वारा अपने पति कमल शर्मा को
ही यानि मुझे अपने ही घर से निकाला गया है और मेरी पत्नी आज भी मेरे ही घर में रह रही
है और दूसरी तरफ मेरी 75 साल की बुड्डी माँ का मकान में रहना मुश्किल कर रखा
है उस पर एक बार चाकू से हमला भी हो चुका है जिसकी शिकायत पर भी पुलिस ने हमारे साथ
दुर्व्यवहार किया और हमारी एक न सुनी उसके बाद ये मामला आज भी न्यायालय में विचाराधीन
है |
मैंने कई बार पत्र के माध्यम से S.S.P. हिसार को भी अपनी फ़रियाद कि लेकिन कोई
कार्यवाही नहीं हुई |मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि इस बात कि जाँच दोबारा करवाई जाये
कि मीनाक्षी पुत्री मुंशी राम अपनी ससुराल पता :-(हनुमान कालोनी ,सामने एम० ई०
एस० गेट,हिसार कैंट) में ही रह रही है या कहीं और तथा मीनाक्षी के
साथ क्या दुर्व्यवहार हुआ है | और वह इस समय
कहाँ नौकरी कर रही है |
क्योंकि आपके
द्वारा कि हुई जाँच एक गरीब और असहाय पति को निर्दोष साबित करने में बहुत ही महत्वपूर्ण
भूमिका निभाएगी | इसलिए मेरी
आपसे पुन: प्रार्थना है कि उपरोक्त विषय कि निष्पक्ष जाँच करवाई जाये
| अर्थात मुझे इसकी सूचना पत्र द्वारा दी जाए आपकी अति कृपया होगी |
प्रार्थी
कमल शर्मा c/o पं० (डा०) जी. ए. आचार्य
राधाकुंड, मथुरा | (उ ० प्र०)
राधाकुंड, मथुरा | (उ ० प्र०)
पिन - 281504
इच्छा मृत्यु
सेवामें, Date:--25/01/2012
श्रीमान् अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय
मानव अधिकार आयोग,
दिल्ली |
subject:--- इच्छा
मृत्यु
महोदय,
मैं एक ऐसा युवक हूँ जो अपने ही लोगों दवारा सताया गया हूँ और अब इतना
परेशान हो गया हूँ कि मेरे पास अपनी जीवनलीला समाप्त करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा हैं | क्योंकि मेरी शादी
के 17 साल बाद मेरी पत्नी व मेरे ससुराल पक्ष ने मुझे मेरे ही घर व बच्चों से दूर रहने
पर मजबूर कर दिया हैं| जिसका सारा हाल मैं
साथ में सगलन एक पत्र के माध्यम से
आपको बता रहा हूँ |
मुझे
करीब 4 साल पह्ले मेरे ही घर से निकाल दिया और मेरा सब कुछ रुपय़ा पैसा सामान आदि मेरे
ही घर में मेरी पत्नी ने रख लिया और आज भी वह मेरे ही घर मे रह रही हैं |और मुझ पर
498A जैसे कई केस कर दिये, क्योंकि
वह अपना औरत होने का नजायज फ़ायदा उठा रही है | इसी वजह से मेरी कही कोई सुनवाई नही
हो रही है |
मैने
अपनी गुहार पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियो
से कि लेकिन मेरी कही कोई सुनबाई नही हुई | मेने राष्ट्रीयमानव अधिकार आयोग, को भी अपनी व्यथा 29/06/2011 को एक पत्र के माध्यम
से बताई थी | लेकिन राष्ट्रीयमानव अधिकार आयोग ने भी मुझे कहा कि आप डी0 ज़ी0 पुलिस को पन्चकूला जाकर मिलिये | जब कि मैं बिना
पैसे के अपना पेट भी मुश्किल से भर रहा हूँ | और दर दर कि ठोकरे खा रहा हूँ | मेरे
पास न खाने को है और ना ही रह्ने को है |
इससे
पह्ले भी मैं डी0 ज़ी0 पुलिस को पत्र के माध्यम से गुहार लगा चुका हूँ | उन्होंन जवाब
मे एस0 पी0 हिसार को लिख दिया कि मुझे कमल शर्मा को तलव करके उसके पक्ष में जो उचित
कार्यवाही हो वह करें | मैंने एस0 पी0 आफ़िस जाकर 22/07/2010 को अपना
सम्पूर्ण हाल ए0 एस0 आई0 सत्यनारायण को सुनाया | जिस पर आज तक कोई आदेश नहीं हुये
|
और तो
और मैंने अपनी शिकायत हरियाणा राजभवन चण्डीग़ढ
जाकर 08/05/2010 को माननीय श्री जगन्नाथ जी पहाडिया व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती
शान्ति देवी के सम्मुख अपना हाल सुनाया व लिखित पत्र भी दिया | पर वहा पर भी मेरी कोई
सुनवाई नहीं हुई |
मैंने
अपने ऊपर लगे 498 के सिलसिले में आई0 जी0 हिसार
रेंज को भी एक पत्र 08/12/2009 को मेंने खुद पेश होकर दिया | पर वहा भी कोई सुनवाई
नहीं हुई |
मैंने 24/05/2010 को भी राज्यपाल हरियाणा, मुख्यमन्त्री हरियाणा सरकार,
ग्रहमन्त्री पी0 चिदम्बरम्, डी0 जी0 पुलिस चण्डीग़ढ व एस0 पी0 हिसार को भी डाक रेजिस्ट्री
के माध्यम से पत्र भेजे पर मेरी किसी ने ना सुनी |
इस तरह
मैं कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाकर व आला अधिकारी को अपनी व्यथा सुनाकर मानसिक व शारिरीक
बहुत परेशान हो चुका हूँ | क्योंकि हर जगह जाना पत्र देना आदि के इन्तजाम आदि से बहुत
परेशान हूँ |
क्योंकि न्यायके मन्दिर (अदालत) में भी न्याय मांगना आज
कल गरीब व असहाय आदमी के वश की बात नहीं है | क्योंकि चाहे वकील हो या कोर्ट रुम में
आवाज मारने वाला आज कल सबको पैसे से प्यार है |
इस सबसे
आहत होकर मैं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से
गुजारिश कर रहा हूँ कि या तो मुझे न्याय दिलवाने
में मेरी मदद करें | अन्यथा मुझे इच्छा
मृत्यु की
इजाजत प्रदान करे |
जिसके बाद मैं देश के राष्ट्पति से इच्छा
मृत्यु की इजाजत
लेकर दिल्ली के लालकिला के सामने समस्त जनता व मिडिया के सामने अपने प्राण त्याग सकू
|
प्राथी
कमल शर्मा पुत्रश्री कृषण गोपाल पचौरी माध्यम :- पं0
(डा0) ज़ी0 ए0 आचार्य
राधाकुन्ड, मथुरा (उ0 प्र0)
पिन -- 281504
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