सेवामें, Date:--25/01/2012
श्रीमान् अध्यक्ष महोदय
राष्ट्रीय
मानव अधिकार आयोग,
दिल्ली |
subject:--- इच्छा
मृत्यु
महोदय,
मैं एक ऐसा युवक हूँ जो अपने ही लोगों दवारा सताया गया हूँ और अब इतना
परेशान हो गया हूँ कि मेरे पास अपनी जीवनलीला समाप्त करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा हैं | क्योंकि मेरी शादी
के 17 साल बाद मेरी पत्नी व मेरे ससुराल पक्ष ने मुझे मेरे ही घर व बच्चों से दूर रहने
पर मजबूर कर दिया हैं| जिसका सारा हाल मैं
साथ में सगलन एक पत्र के माध्यम से
आपको बता रहा हूँ |
मुझे
करीब 4 साल पह्ले मेरे ही घर से निकाल दिया और मेरा सब कुछ रुपय़ा पैसा सामान आदि मेरे
ही घर में मेरी पत्नी ने रख लिया और आज भी वह मेरे ही घर मे रह रही हैं |और मुझ पर
498A जैसे कई केस कर दिये, क्योंकि
वह अपना औरत होने का नजायज फ़ायदा उठा रही है | इसी वजह से मेरी कही कोई सुनवाई नही
हो रही है |
मैने
अपनी गुहार पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियो
से कि लेकिन मेरी कही कोई सुनबाई नही हुई | मेने राष्ट्रीयमानव अधिकार आयोग, को भी अपनी व्यथा 29/06/2011 को एक पत्र के माध्यम
से बताई थी | लेकिन राष्ट्रीयमानव अधिकार आयोग ने भी मुझे कहा कि आप डी0 ज़ी0 पुलिस को पन्चकूला जाकर मिलिये | जब कि मैं बिना
पैसे के अपना पेट भी मुश्किल से भर रहा हूँ | और दर दर कि ठोकरे खा रहा हूँ | मेरे
पास न खाने को है और ना ही रह्ने को है |
इससे
पह्ले भी मैं डी0 ज़ी0 पुलिस को पत्र के माध्यम से गुहार लगा चुका हूँ | उन्होंन जवाब
मे एस0 पी0 हिसार को लिख दिया कि मुझे कमल शर्मा को तलव करके उसके पक्ष में जो उचित
कार्यवाही हो वह करें | मैंने एस0 पी0 आफ़िस जाकर 22/07/2010 को अपना
सम्पूर्ण हाल ए0 एस0 आई0 सत्यनारायण को सुनाया | जिस पर आज तक कोई आदेश नहीं हुये
|
और तो
और मैंने अपनी शिकायत हरियाणा राजभवन चण्डीग़ढ
जाकर 08/05/2010 को माननीय श्री जगन्नाथ जी पहाडिया व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती
शान्ति देवी के सम्मुख अपना हाल सुनाया व लिखित पत्र भी दिया | पर वहा पर भी मेरी कोई
सुनवाई नहीं हुई |
मैंने
अपने ऊपर लगे 498 के सिलसिले में आई0 जी0 हिसार
रेंज को भी एक पत्र 08/12/2009 को मेंने खुद पेश होकर दिया | पर वहा भी कोई सुनवाई
नहीं हुई |
मैंने 24/05/2010 को भी राज्यपाल हरियाणा, मुख्यमन्त्री हरियाणा सरकार,
ग्रहमन्त्री पी0 चिदम्बरम्, डी0 जी0 पुलिस चण्डीग़ढ व एस0 पी0 हिसार को भी डाक रेजिस्ट्री
के माध्यम से पत्र भेजे पर मेरी किसी ने ना सुनी |
इस तरह
मैं कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाकर व आला अधिकारी को अपनी व्यथा सुनाकर मानसिक व शारिरीक
बहुत परेशान हो चुका हूँ | क्योंकि हर जगह जाना पत्र देना आदि के इन्तजाम आदि से बहुत
परेशान हूँ |
क्योंकि न्यायके मन्दिर (अदालत) में भी न्याय मांगना आज
कल गरीब व असहाय आदमी के वश की बात नहीं है | क्योंकि चाहे वकील हो या कोर्ट रुम में
आवाज मारने वाला आज कल सबको पैसे से प्यार है |
इस सबसे
आहत होकर मैं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से
गुजारिश कर रहा हूँ कि या तो मुझे न्याय दिलवाने
में मेरी मदद करें | अन्यथा मुझे इच्छा
मृत्यु की
इजाजत प्रदान करे |
जिसके बाद मैं देश के राष्ट्पति से इच्छा
मृत्यु की इजाजत
लेकर दिल्ली के लालकिला के सामने समस्त जनता व मिडिया के सामने अपने प्राण त्याग सकू
|
प्राथी
कमल शर्मा पुत्रश्री कृषण गोपाल पचौरी माध्यम :- पं0
(डा0) ज़ी0 ए0 आचार्य
राधाकुन्ड, मथुरा (उ0 प्र0)
पिन -- 281504
हमारे देश में न्याय की मांग करना भी एक गुनाह है. मेरे इच्छा मुत्यु वाले पत्र पर राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल पिछले ग्यारह महीने में कोई निर्णय नहीं ले सकी, क्योंकि उनको घूमने-फिरने से फुर्सत मिले तब तो कुछ करें.
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