मैं कमल शर्मा पुत्र
स्व० श्री क्रषण गोपाल निवासी न मालूम (क्यों कि अब मेरा कोई घर नहीं है ) मेरी शादी
को 17 साल हुए है | परन्तु इन 17 सालो में मैंने अपने ससुराल पक्ष व् मेरी पत्नी की
क्या क्या यातनाये नहीं सही और अब 2007 से तो हालत इतने बत्तर हो गए है कि मुझे अपना
घर ही छोड़ना पड़ा | आज डिप्रेशन के कारण मैं अपने साथ हुए अन्याय की बात को ठीक से
उच्चारण नहीं कर पा रहा हूँ | इसलिए अपनी कुछ बाते जो याद है फिलहाल उन्हें लिखकर दे
रहा हूँ |
मैं मानता हूँ कि आज समाज में कुछ पुरुष महिलाओ पर अत्याचार करते है | लेकिन जिस प्रकार हाथ कि पांचो उगलिया बराबर नहीं होती ठीक उसी तरह हर पति अपनी पत्नी पर अत्याचार नहीं करते |इस विषय पर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी भी आई थी कि घरेलू हिंसा अधिनियम और धारा 498 a को बनाया तो महिलाओ के हितों के लिए है मगर कुछ महिलाओ द्वारा अपने पति व् ससुराल वालो को प्रताड़ित करने, ब्लेकमैलिग़ करके उनसे मोटी रकम हथियाने के लिए उपरोक्त कानून को हथियार के रूप गलत इस्तेमाल कर रही है | इसलिए शुरूआती जाँच अधिकारी सावधानी से जाँच करके ही कोर्ट में रिपोर्ट पेश करें |
मैं मानता हूँ कि आज समाज में कुछ पुरुष महिलाओ पर अत्याचार करते है | लेकिन जिस प्रकार हाथ कि पांचो उगलिया बराबर नहीं होती ठीक उसी तरह हर पति अपनी पत्नी पर अत्याचार नहीं करते |इस विषय पर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी भी आई थी कि घरेलू हिंसा अधिनियम और धारा 498 a को बनाया तो महिलाओ के हितों के लिए है मगर कुछ महिलाओ द्वारा अपने पति व् ससुराल वालो को प्रताड़ित करने, ब्लेकमैलिग़ करके उनसे मोटी रकम हथियाने के लिए उपरोक्त कानून को हथियार के रूप गलत इस्तेमाल कर रही है | इसलिए शुरूआती जाँच अधिकारी सावधानी से जाँच करके ही कोर्ट में रिपोर्ट पेश करें |
लेकिन मेरे खिलाफ
हुई F.I.R.-1077 , Date - 3/12/2009 में ऐसा नहीं हुआ इसमें जाँच अधिकारी A.S.I. रामसिंह
और A.S.I. संतलाल द्वारा बताया गया कि कमल शर्मा (यानि मुझे)और मेरी माँ राधा रानी
ने मीनाक्षी पुत्री मुंशीराम को मार पीट कर घर से निकाल दिया है | जो कि सरासर गलत
है क्योंकि मीनाक्षी अपनी ससुराल से एक दिन के लिए भी अलग नहीं हुई और वह आज भी अपनी
ससुराल में ही रह रही है | जबकि मैंने मजबूर होकर 15 सितम्बर 2008 को ही घर छोड़ दिया
था | क्योंकि मैं मेरी पत्नी द्वारा बार बार पुलिस बुलाकर पिटवाए जाने से परेशांन हो
चुका था | मैंने इस बाबत I.G.Hisar को भी एक पत्र दिया था |
मेरी पत्नी व् मेरे
ससुरालियो ने 13/3/1994 से 15/9/2008 तक कि अवधि में मेरी पत्नी के साथ रहने के दौरान
हमेशा मेरा मानसिक,शारीरिक व् आर्थिक रूप से शोषण किया है | जैसे शारीरिक सम्बन्ध बनाने
से इंकार करना, शारीरिक सम्बन्ध बनाने से पहले पैसो की मांग करना, मेरी माँ व्
बहन (जिसकी शादी पहले ही हो चुकी है) को अपशव्द बोलना, हमारी जाति ब्रहमण है (मेरे
पिता जी मंदिर में पुजारी थे) के सम्बन्ध में भिखारी शब्द बोलना, मेरे ऊपर अपने भाई
से तेजाब फिकवाने की कहना, मेरे ससुर द्वारा पांच आदमियों को मेरी दुकान पर लाकर U
.P . से बदमाश बुलाकर मुझे जान से मारने की धमकी देना, गृहस्थी की जिम्मेदारी न समझते
हुये गृह कार्यो से बचना, बगैर किसी बात के गृहक्लेश करना, मुझ पर दूसरी महिलाओ के
साथ अवैध सम्बन्ध होने का आरोप लगाकर मुझे मोहल्ले में बदनाम करना, अपने मायके की समस्याओ
को लेकर भी मेरे साथ झगडा करना और इनसे भी पेट न भरे तो मुझे पुलिस बुलाकर या अपने
रिश्तेदारों को बुलाकर मुझे पिटवाना, मेरी सास द्वारा जिंदल परिवार से सिफारिश करवाने
की धमकी देना, मेरी पत्नी के भाई बहनों ने भी समय समय पर मुझे आर्थिक व् मानसिक रूप
से परेशान किया है , ऐसी अनेको बाते है | जिनको लेकर अक्सर दुर्व्यवहार करना मेरी पत्नी
की आदत में शामिल रहा है | मेरी पत्नी किसी के बहकाने से
किसी भी हद तक जा सकती है| यहाँ तक कि
मेरी जान भी ले सकती है |
मेरे ससुराल पक्ष ने मेरे साले की शादी के वक्त मुझसे चार लाख रूपए मांगे थे पर मेरे पास इतने पैसे न होने के कारण मैंने एक लाख रूपए दे दिये | लेकिन मेरा वो रूपया आज तक मुझे नहीं मिला इसके बावजूत जनवरी 2008 में मुझसे फिर पांच लाख रूपए मांगने लगे, मेरे साफ मना करने पर झूठे केसों में फसाने और जान से मारने की धमकी देने लगे तथा 2009 से वही कर रहे है | मेरे ससुराल व् मेरी पत्नी ने हमेशा महिलाओ के हितों के लिए बनाये कानूनों का दुरूपयोग करते हुये मुझे प्रताड़ित किया और इतनी यातनाये सहने के बाबजूद मेरे माता पिता व् ब्रहमण धर्म गुरुजनों के दिये संस्कारो की वजह से सब्र ,धैर्य और संयम रखे हुये हमेशा क्षमा करते हुये अपनी पत्नी को बातो के माध्यम से समझाने की कोशिश की और कभी किसी प्रकार की मार पीट नहीं की बल्कि हद से ज्यादा परेशान होने पर अपने आप ही अपना सब कुछ अपनी पत्नी को सोप कर घर छोड़ देने का फैसला लिया |
आज मैं यह सार्वजनिक घोषणा कर रहा हूँ. आज के बाद मेरी किसी दुर्घटना में या किसी भी तरीके से अगर मौत होती है तो. उसकी संपूर्ण रूप से मेरी पत्नी, सास-सुसर, तीनो सालियाँ और मेरे साले के साथ ही हनुमान कालोनी हिसार कैंट में रह रहे बलजीत पुत्र सुरता राम व् अवतार बडेसरा की जिम्मेदारी होगी, क्योंकि मेरे जीवन के सिर्फ यहीं लोग दुश्मन है. अब मेरी आखिरी लड़ाई जीवन और मौत के बीच होगी.
मेरे ससुराल पक्ष ने मेरे साले की शादी के वक्त मुझसे चार लाख रूपए मांगे थे पर मेरे पास इतने पैसे न होने के कारण मैंने एक लाख रूपए दे दिये | लेकिन मेरा वो रूपया आज तक मुझे नहीं मिला इसके बावजूत जनवरी 2008 में मुझसे फिर पांच लाख रूपए मांगने लगे, मेरे साफ मना करने पर झूठे केसों में फसाने और जान से मारने की धमकी देने लगे तथा 2009 से वही कर रहे है | मेरे ससुराल व् मेरी पत्नी ने हमेशा महिलाओ के हितों के लिए बनाये कानूनों का दुरूपयोग करते हुये मुझे प्रताड़ित किया और इतनी यातनाये सहने के बाबजूद मेरे माता पिता व् ब्रहमण धर्म गुरुजनों के दिये संस्कारो की वजह से सब्र ,धैर्य और संयम रखे हुये हमेशा क्षमा करते हुये अपनी पत्नी को बातो के माध्यम से समझाने की कोशिश की और कभी किसी प्रकार की मार पीट नहीं की बल्कि हद से ज्यादा परेशान होने पर अपने आप ही अपना सब कुछ अपनी पत्नी को सोप कर घर छोड़ देने का फैसला लिया |
आज मैं यह सार्वजनिक घोषणा कर रहा हूँ. आज के बाद मेरी किसी दुर्घटना में या किसी भी तरीके से अगर मौत होती है तो. उसकी संपूर्ण रूप से मेरी पत्नी, सास-सुसर, तीनो सालियाँ और मेरे साले के साथ ही हनुमान कालोनी हिसार कैंट में रह रहे बलजीत पुत्र सुरता राम व् अवतार बडेसरा की जिम्मेदारी होगी, क्योंकि मेरे जीवन के सिर्फ यहीं लोग दुश्मन है. अब मेरी आखिरी लड़ाई जीवन और मौत के बीच होगी.
अत: मेरा आपसे निवेदन
है कि एक बार कृपया करके मेरा पक्ष भी ध्यान से सुने और विचार करने का कष्ट करे | आजतक
एक बार भी मेरा पक्ष नहीं सुना गया | अगर आज भी मेरे साथ इंसाफ नहीं हुआ तो मेरे पास
आत्महत्या करने के सिवाय कोई चारा नहीं
रह जायगा | जिसकी इजाजत मांगने के लिए मैने राष्ट्रीय
मानव अधिकार आयोग दिल्ली को 25/1/2012 को एक पत्र लिख चुका हू |
मेरी पत्नी मुझे मार देगी
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