बीवी दे पति को आर्थिक मदद: सुप्रीम कोर्ट |
Written by PTI |
Tuesday, 29 December 2009 23:19 |
नई दिल्ली ।। सुप्रीम कोर्ट ने कानून के शब्दों के बजाय उसकी भावनाओं को अहमियत देते हुए तलाक के एक मामले में पत्नी को निर्देश दिया
क ि वह मुकदमा लड़ने के लिए पति को 10,000 रुपए दे। अदालत ने
गौर किया कि पति बेरोजगार है जबकि पत्नी स्वतंत्र लेखन करती
है। आम तौर पर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत तलाक के मुकदमे
के दौरान यह पति का कर्तव्य माना जाता है कि वह पत्नी को या
उसके माता-पिता को मुकदमे के दौरान या तलाक के बाद गुजारा
भत्ता दे।
जस्टिस दलवीर भंडारी की अध्यक्षता वाली बेंच ने मद्रास
निवासी संतोष के स्वामी और बेंगलुरु में रहने वाली उनकी पत्नी
इनेश मिरांडा के मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश
दिया।मिरांडा ने चेन्नै अदालत में स्वामी द्वारा दायर एक
मुकदमे की सुनवाई बेंगलुरु अदालत में स्थानांतरित करने की
याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम
कोर्ट ने यह ऐतिहासिक आदेश दिया।
मिरांडा का कहना था कि
उसके द्वारा बेंगलुरु की अदालत में दायर किए गए तलाक के
मुकदमे के जवाब में स्वामी ने जानबूझ कर उसे परेशान करने के
लिए चेन्नै में मुकदमा दायर किया। अदालत ने गौर किया कि
स्वामी बेरोजगार है, जबकि मिरांडा फ्रीलांस राइटर के तौर पर
काम करती है और इतना कमा लेती है कि खुद की और तीन साल की
अपनी बेटी की देखभाल कर सके।
अदालत ने आदेश दिया
कि बेंगलुरु में तलाक का मुकदमा लड़ने के लिए मिरांडा अपने
पति को 10.000 रुपए की मदद दे।
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