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Sunday, 22 April 2012

शुक्र है, अब तलाक लेना हुआ ज्‍यादा आसान

शुक्र है, अब तलाक लेना हुआ ज्‍यादा आसान


 
आपकी शादी अगर बर्बादी में तब्दील हो चुकी है, तो उससे पीछा छुड़ाना अब आसान हो गया है. केंद्रीय कैबिनेट ने मैरिज एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी है.
इसके मुताबिक तलाक की अर्जी देने के बाद कई महीनों का इंतजार जरूरी नहीं रह जाएगा. मैरिज एक्‍ट में बदलाव की कुछ मुख्‍य बातें ये हैं:
-तलाक के लिए जरूरी शर्तों में एक नई शर्त शामिल की गई है. अगर शादी की ऐसी हालत हो गई है, जिसमें सुधार की कोई गुंजाइश न बची हो, तो इस शर्त के तहत अगर पत्नी तलाक की अर्जी देती है, तो पति विरोध दर्ज नहीं करा सकता. लेकिन अगर पति की अर्जी है और पत्नी ने विरोध दर्ज करा दिया है, तो कोर्ट उस पर विचार करेगा.
-तलाक तो जल्दी मिलेगा, लेकिन अब तलाक के बाद पत्नी का हक आपकी उस संपत्ति पर भी होगा, जो आपने शादी के बाद जुटाई है. पत्नी को कितनी संपत्ति मिलेगी, इसका फैसला कोर्ट करेगा.
-अगर तलाक होता है, तो गोद लिये बच्चे के भी अधिकार भी ठीक वैसे ही होंगे, जैसे अपने पैदा होने वाले बच्चों के होते हैं.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया. पति की संपत्ति में अधिकार देने के अलावा विवाह कानून (संशोधन) विधेयक 2010 का उद्देश्य गोद लिये हुए बच्चों को भी मां-बाप से जन्मे बच्चों के समान अधिकार दिलाना है.
इससे पूर्व दो साल पहले राज्यसभा में यह विधेयक पेश किया गया था. फिर इसे कानून एवं कार्मिक संबंधी संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया.
स्थायी समिति की सिफारिशों के आधार पर विधेयक का मसौदा फिर से तैयार किया गया और कैबिनेट द्वारा मंजूर यह विधेयक पति पत्नी का तलाक होने की स्थिति में गोद लिये बच्चों को भी मां-बाप से जन्मे बच्चों के समान अधिकार का प्रावधान करता है.
सरकार ने संसदीय समिति की इस सिफारिश को भी हालांकि मान लिया है कि तलाक की स्थिति में पत्नी का पति की संपत्ति में अधिकार होगा, लेकिन कितना हिस्सा मिलेगा, यह मामले दर मामले आधार पर अदालतें तय करेंगी.........

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