दहेज प्रताड़ना कानून का दुरुपयोग
Oct 08, 11:46 pm
बाहरी दिल्ली, जागरण संवाददाता : रोहिणी कोर्ट की अतिरिक्त सत्र
न्यायाधीश डॉ. कामिनी लॉ ने दहेज प्रताड़ना के एक मामले में शिकायतकर्ता के
रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून की धारा 498ए यानी दहेज प्रताड़ना
का दुरुपयोग हो रहा है। पिछले कुछ समय में ऐसा पाया गया है कि इस कानून की
आड़ में मानव अधिकारों का उल्लंघन, अवैध वसूली और भ्रष्टाचार के लिए किया जा
रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस दुरुपयोग को स्वीकार किया था और कहा था
कि यह कानूनी आतंक है। यह कानून बदला लेने, दहेज की वसूली और तलाक का दबाव
बनाने के लिए नहीं, बल्कि दोषियों को सजा देने के लिए है।
शनिवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने इस मामले में निचली अदालत के
फैसले को सही ठहराया, जिसमें चार आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर
दिया गया था। मामले के अुनसार शिकायतकर्ता वीणा ने पति, सास-ससुर व देवर के
खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज किया था। निचली अदालत ने चारों
आरोपियों को बरी कर दिया, तो वाणी ने सत्र न्यायालय में चुनौती दी। सत्र
अदालत ने पाया कि वीणा व उसके पति के बीच वर्ष 2000 में स्त्रीधन आदि
लेन-देन का मामले का निबटारा हो गया था। उसके बाद वीणा ने ससुराल वालों पर
दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था।
वीणा का आरोप था कि दहेज के लिए उसकी पिटाई की गई, जिससे उसे अस्पताल
में भर्ती होना पड़ा। लेकिन वह अस्पताल का कोई सबूत नहीं पेश कर सकी। साथ ही
अदालत में वीणा के भाई व पिता भी वीणा द्वारा पति पर लगाए गए आरोपों से
इनकार कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे में आरोपियों को कैसे
दोषी ठहराया जा सकता है। इसके लिए अदालत ने प्रसिद्ध कवि साहिर लुधियानवी
की इन पक्तियों का हवाला देते हुए कहा कि 'तार्रुफ रोग हो जाए तो उसको
भुलाना बेहतर, ताल्लुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा। वो अफसाना जिसे
अंजाम तक लाना न हो मुमकीन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा।'
मेरी पत्नी मुझे प्रताड़ित कर रहीं हैं वह मुझे जीने नहीं देगी क्या कोई ऐसा कानून है जो मेरी जिंदगी बचा सके।
ReplyDeleteमेरी पत्नी मुझे प्रताड़ित कर रहीं हैं वह मुझे जीने नहीं देगी क्या कोई ऐसा कानून है जो मेरी जिंदगी बचा सके।
ReplyDeletereally very nice post thank you for shring this post
ReplyDeletehindustani bhau
vikas pathak