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Thursday 19 April 2012

दहेज लेने पर जुर्म देने पर क्यों नहीं
                         
Written by कोमल धनेसर   
Thursday, 13 May 2010 09:04
भिलाई: अपनी बहू से दहेज मांगने वालों की थानों में लिस्ट काफी लंबी है पर अपनी बेटी-दामाद को दहेज देने वाला परिवार एक भी नहीं है। राज्य भर से मिले आंकड़ों से यह बात साबित होती है कि दहेज प्रतिषेध अधिनियम में एक तरफा कारवाई हो रही है।
सूचना के अधिकार के तहत भिलाई के देेवेन्द्र गुप्ता ने राज्य के विभिन्न थानों से जानकारी मंगवाई थी कि आईपीसी की धारा 498 ए में कितने मामले दर्ज किए गए हैं और कितने मामलों में सजा हुई साथ ही कितने दोषमुक्त पाए गए। इसके साथ ही यह भी जानकारी चाही गई थी कि दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 में दहेज देने की स्वीकारोक्ति पर कितने वधू पक्षों पर कारवाई हुई है। इस जानकारी के मांगे जाने के बाद जो आंकड़े सामने आए है उसे देखकर आश्चर्य होगा कि राज्य के लगभग हर थानों में धारा 498 ए के तहत कई मामले दर्ज है पर धारा 3 के तहत वधू पक्ष पर दहेज देने का मामला कही भी कायम नहीं हुआ है। जबकि दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 में स्पष्ट उल्लेख है कि दहेज देना और लेना दोनों जुर्म है और अगर वधू पर दहेज देने की बात स्वीकार करता है तो वर पक्ष के आवेदन पर उसपर मामला दर्ज किया जा सकता है। जनसूचना अधिकारी पुलिस अधीक्षक दुर्ग जिला से मिली जानकारी के आधार पर आईपीसी की धारा 498 ए के तहत जिले भर में वर्ष 2000 से 2009 तक कुल 1061 मामले दर्ज हुए और उनमें से सिर्फ 17 मामलों में सजा हुई और 201 मामलों में वर पक्ष को दोषमुक्त किया गया।
वहीं 824 मामले आज भी न्यायालय में विचाराधीन है। आंकड़ों पर ध्यान दें तो दुर्ग जिले में 92.2 मामले न्यायालय से दोषमुक्त हो चुके हैं यानि इन मामलों में वधू पक्ष द्वारा फर्जी रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इधर दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 के तहत दहेज लेने की स्वीकारोक्ति पर जिले में कुल 31 प्रकरण दर्ज किए गए और इन मामलों में 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया। वहीं दहेज देने की स्वीकारोक्ति पर जिले भर के एक भी थाने में कोई मामला दर्ज हुआ ही नहीं। पुलिस मुख्यालय रायपुर से मिली जानकारी के आधार पर आंकडो़ं को देखे तो पता चलेगा कि राज्य भर में दर्ज 6239 मामलों में सिर्फ 79 प्रकरणों में सजा हुई और 381 मामलों में लोगों को दोषमुक्त किया गया। साथ ही 60 प्रकरणों का खात्मा खारिज किया गया। जबकि 5181 मामले न्यायालय में विचाराधीन है। कुल मिलाकर 82.82 प्रकरणों में पार्टी को दोषमुक्त किया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि 498 ए के कई मामले वधू पक्ष द्वार फर्जी दर्ज कराए जाते है। लीगल एक्पट्र्स की मानें तो धारा 3 के तहत यदि वधू पक्ष पर भी दहेज देने के जुर्म में मामले दर्ज होने लगेंगे तो धारा 498 ए का दुरूपयोग अपने-आप कम हो जाएगा और वास्तव में पीडि़त महिला को न्याय मिल सकेगा.

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