क्या समझौते पर टिकी हैं ज्यादातर शादियां? 
 
| Written by पूनम पाण्डे | 
| Monday, 28 December 2009 16:34 | 
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शादी    का लड्डू ऐसा,
    जो न खाए ललचाए    और जो खाए    पछताए। क्या    इंडियन मैरिज    के लिए
 यह बात    सही साबित हो    रही है? हाल ही     में आई एक    किताब के लिए 
12    साल तक की गई    स्टडी के    नतीजे तो कम से    कम यही दिखाते    
हैं। इसके    मुताबिक शहरी    इलाकों के 94    पर्सेंट मिडल    क्लास कपल्स
    ने माना कि वे    अपनी शादी से    खुश हैं लेकिन    ज्यादातर ने    यह 
भी माना कि    अगर दोबारा    चॉइस दी जाए तो    वे इस पार्टनर    से शादी 
नहीं    करेंगे या फिर    शादी ही नहीं    करेंगे। 
डॉ.    शेफाली    संध्या की    किताब 'लव 
विल    फॉलो- वाय द    इंडियन मैरिज    इज बर्निंग'    में कहा गया है    
कि पिछले दो    दशकों में    इंडिया में    तलाक के    मामलों में    
बेतहाशा    वृद्धि हुई    है। केरल में 350    पर्सेंट,    चेन्नै और    
कोलकाता में 200    पर्सेंट की    बढ़ोतरी हुई    वहीं दिल्ली    इन सबमें 
सबसे    आगे है और    'तलाक कैपिटल'    की तरह उभर रही    है। तलाक के    
ज्यादातर केस    25 से 39 साल की    उम्र के बीच    में होते हैं।    स्टडी
 के    मुताबिक जहां    अमेरिका में    तलाक के 66    पर्सेंट    मामलों 
में    पहल महिलाओं    की ओर से होती    है, वहीं    इंडिया में अब    
80-85 पर्सेंट    मामलों में    महिलाएं तलाक    की पहल करती    हैं। वैसे,
 अब    तक यह धारणा थी    कि पुरुष ही    तलाक की पहल    करते    हैं। 
समाजशास्त्री    रंजना कुमारी    कहती हैं
 कि    पुरुष के पास    हमेशा चॉइस    रहती है। अगर    शादी नहीं चल    रही
 है तो वह    एक्स्ट्रा    मैरिटल    रिलेशन बना    लेता है।    लेकिन    
महिलाएं ऐसा    नहीं करती हैं    और न ही समाज    और माहौल    उन्हें इसकी 
   इजाजत देता    है। ऐसे में    शादीशुदा    जिंदगी खराब    होने पर उस   
 संबंध से बाहर    निकलने के    अलावा उनके    पास दूसरा    रास्ता नहीं   
 होता    है। 
महिला    एक्टिविस्ट    अंजलि सिन्हा    
भी इससे सहमत    हैं कि    महिलाओं के    लिए समानांतर    रिश्ते बनाना    
संभव नहीं है।    जब उनके पास    कोई विकल्प    नहीं बचता, तब    वे तलाक 
की पहल    करती हैं। वह    कहती हैं कि    तलाक के बढ़ते    मामले कोई    
अशुभ संकेत    नहीं हैं। अगर    किसी को संबंध    मंजूर नहीं है    तो उसे 
तोड़    देने का पूरा    हक है। तलाक के    बढ़ते मामलों    की वजह    
गैर-बराबरी पर    आधारित    पारिवारिक    ढांचा है।    पहले महिलाओं    के 
पास कोई    विकल्प नहीं    था, लेकिन    पिछले डेढ़-दो    दशकों से    
महिलाओं में    गैर-बराबरी और    हिंसा के    विरुद्ध    चेतना आई है।    
यह कोई बाहरी    या पाश्चात्य    संस्कृति का    असर नहीं है    बल्कि    
महिलाएं अब    अपने पैरों पर    खड़ी हैं और    अन्याय के    खिलाफ बोलने  
  लगी हैं। जब तक    परिवार अपने    आप को नहीं    बदलेंगे, जब तक    
परिवार में    डेमोक्रेसी    नहीं होगी,    न्याय नहीं    होगा तब तक    
तलाक के मामले    बढ़ते    रहेंगे। 
स्टडी    यह भी दिखाती    है कि    
शादीशुदा    रिश्ते में    सेक्स एक अहम    रोल अदा करता    है। 64 पर्सेंट
    लोगों ने माना    कि उनकी शादी    के लिए सेक्स    बहुत या बहुत    
ज्यादा जरूरी    है। 29 पर्सेंट    का कहना था कि    काफी जरूरी है    जबकि
 महज 7    पर्सेंट ने    कहा कि सेक्स    बहुत कम या    बिल्कुल    जरूरी 
नहीं है,    इनमें भी    महिलाएं    ज्यादा थीं। | 
 
 
Nice post.
ReplyDeleteमैं पूछना चाहता हूं उन सभी से अगर पत्नी अपने पति के हुए हर बात को अपने माता पिता से शेयर करना चाहिये।शायद मेरे ख्याल से तो नहीं ।इसके अलावा जब कोई पत्नी अपने पति पर झुठा आरोप लगायेगी तो निश्चित रूप से ये मामला कोर्ट तक जायेगा ।मैं ये नहीं कहता कि इस दूनिया कि सभी औरतों पर जादा तर औरत अपने पति को एक सुख सुविधा प्रदान करने बाला एक मशीन से जादा कुछ नहीं समझती हैं।आज हमारे देश औरत को इतना जादा इस देश अंधा कानून अधिकार दे दिया है कि औरतें जिस दिन शादी करके अपने पति के घर जाती है उस दिन से वो अपना सारा कर्तव्य भूल जाती हैं और उसे लगने लगता है कि उनके माता पिता ने उनकी शादी करा कर उसे उसका दूल्हा नहीं बल्कि एक ऐसा मशीन दिया है जो सुख सुविधा प्रदान करने के लिए है जो मशीन उसका एक गुलाम के तरह हर आदेश को मानने के लिये बना है।आज हमारे समाज में जहां भी कही किसी पति पत्नी के लडाई कि बात आती है वहां लोग अगर सब कुछ सच भी जानते हैं कि पुरुष को उनकी पत्नी द्वारा प्रताडित किया जा रहा है फिर भी वो सच नहीं बोलते बस उस औरत का चेहरा देख कर ये कह देते हैं कि निश्चित रूप से मर्द कि गलती है क्योंकि आज हमारे पुरूष समाज को किसी औरत के जुबान से अपना तारिफ सुनने में जादा मजा आता है ।और जो पुरुष इस तरह का बात करता है जो पुरुष गलत महिला को भी सही और सही पुरूष को भी गलत कहता है मेरा मतलब है महिला के बिषेस संरक्षण प्रदान करने कि बात करता है वह पुरुष ही आज सबसे ज्यादा महिलाओं का शोषण कर रहा है।जिस बात आज हमारे समाज कि महिलाएं नहीं समझ पा रही हैं और अगर समझ भी जाती हैं तो उस महिला को उसी तरह के पुरूष के साथ जादा मजा आता है । और अब जहां तक बात है तलाक का तो इस कानून में दोनों के बीच अंतर क्यों कि कोई भी महिला जब चाहे वो अपने पति को छोड कर चल देती है और तलाक भी बडी असानी से दे जाती है और पुरुष अगर इस तरह का बात गलती से भी सोच भी ले तो उस पर 498a जैसा कानून लागू हो जाता है जो आज भी गैरजमानती है ।आज हमारे देश को इस तरह का कानून नर्क में ले कर जा रहा है ।मै पूछना चाहता हूं उस कानून के ठेकेदार को जिसने इस तरह एक तरफा कानून को आज भी लागू कर रखा है क्या आपको नहीं लगता है कि अगर कोई पत्नी अपने पति तलाक दे कर या छोड कर चली जाती है तो उस पती का किस तरह जिंदगी नर्क होता होगा ।इसलिये मैं तो बस यही कहुंगा कि इस मामले में हर औरत और मर्द को एक तरह का अधिकार मिलना चाहिए ।और अगर आप एक तरह का अधिकार नहीं दे सकते हैं तो इसका मतलब ये है कि आप हमारे देश के संविधान में जो जीवन के अधिकार का जो बात करते हैं वो गलत है ।और एक आखिरी सच्चाई मैं ये बता देना चाहता हूँ कि आज तक हमारे देश में जहाँ पती पत्नी के आपसी लढाई की बात है वहां 100'/, यही सच है कि इस लढाई में जहां पुरूष दिल का इस्तेमाल करता है वहीं महिला दिमाग का इस्तेमाल ककरती है।आने वाले समय में वो दिन दूर नहीं कि अगर हमारे समाज कि महिलाएं अपने इस कारनामे को अगर बंद नहीं करेंगी तो पुरुष समाज शादी जैसे रस्म के नाम से तो घबराने ही लगेगा और इसके अलावे हमारे देश कि महिलाएं कहीं अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर पायेगी
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